हिन्दी दिवस राष्ट्रीय अस्मिता और आत्मगौरव का दिवस है


कर लें हिंदी का संधान*
कर लें हिंदी का संधान
रहे विरोध ना कोई
उत्तर दक्षिण का भान
कर लें हिंदी का संधान......
 
हम सब भारतवासी हैं
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है
यही है जो जन-जन में
नित्य जगाती आशा है
राष्ट्रपिता ने सदा किया
इस भाषा का गुणगान
कर लें हिंदी का संधान
गाँधी, बोस, तिलक ने
इस भाषा का अलख जगाया था
स्वतंत्रता संग्राम के वीरों ने
इस भाषा को अपनाया था
आत्मसात कर लें इसको
हम काम ये बड़ा महान
कर लें हिंदी का संधान.....
 
यही है वो संपर्क की भाषा
संस्कृत इसका मूल है
देवनागरी लिपि में लिखी जाती यह भाषा
सदा बढ़ाती राष्ट्र का मान है
प्रांत , जाति और धर्म से ऊपर
सदा ही राष्ट्रभाषा होती है
भाषाई अंतर को कम कर
वेणी नया पिरोती है
कोमल भाषा मीठी बोली
हिंदी कविता का परिधान
कर लें हिंदी का संधान.......

लोकतन्त्र के चौथे स्तम्भ ने
इसका विकास किया
बालीवूड ने भी बढ़चढ़कर 
इस भाषा का व्यवहार किया
चलचित्र ने माध्यम बनकर
इसका देशदेशांतर में प्रसार किया
मत भूलो ऐ! हिंद के वासी
इसकी सुरीली मीठी तान
कर लें हिंदी का संधान......
 
क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों को भी
सहजता से गले लगाती हिंदी
अरब लोगों के द्वारा
बोली जाती हिंदी
सुन लो देश के वासी
हिंदी भाषा का पैगाम
कर लें हिंदी का संधान......

हिन्दी दिवस द्वारा ही सही
इसकी महत्ता को हम सब स्मृत कर लेते हैं
किन्तु समापन के साथ
हम इसको विस्मृत भी कर देते हैं
फिर हाथों में अँग्रेजी की बैसाखी लेकर
हिन्दी का मान घटाते हैं
लें आज संकल्प ऐसा कि
निष्ठापूर्वक वर्षभर
करें हिंदी में हम सब काम
कर लें हिंदी का संधान...
 (*वेब पर उपलब्ध हुई किसी अनाम कवि की  कविता का संस्कार कर इसे सुधि हिन्दी प्रेमी पाठकों के लिए पुनर्प्रस्तुत कर रहा हूँ - ब्लॉग लेखक )

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