संदेश

अगस्त 3, 2009 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दी ही राजभाषा क्यों ?

हिन्दी ही राजभाषा क्यों ? यह सवाल प्रायः सभी हिंदीतर भाषियों द्वारा लगातार उठाया जाता रहा है , लेकिन जिन्हें " हिन्दी राजभाषा कैसे और क्यों बनी " इस सम्बन्ध में थोडी बहुत भी जानकारी है तो उन्हें इस प्रश्न का उत्तर देने में कोई भी परेशानी नही होनी चाहिए । दरअसल सिर्फ़ राजभाषा ही नही बल्कि हमारे संविधान में शामिल सभी सभी पहलुयों पर व्यापक और गहन चर्चा के लिए संविधान सभा ने अलग अलग तारीख तय किया था । तत्कालीन सदस्यों ने संविधान निर्माण की प्रारूप समिति में शामिल होकर संविधान निर्माण के लिए अपनी - अपनी सेवाएँ भी दी थी , इसी क्रम में डॉ गोपाल स्वामी आयंगर की अध्यक्षता में बनी संविधान निर्माण उप समिति ने राजभाषा के प्रश्न पर विचार के लिए १२ से १४ सितम्बर १९४९ का दिन तय किया। यह भी कम रोचक प्रश्न नही है कि संविधान सभा ने राजभाषा चयन का मुद्दे पर सबसे आख़िर में क्यों लिया ? शायद दूरदर्शी संविधान निर्माताओं को यह भय था कि अगर भाषा के नाम पर ही लोग अश्हिनु होकर आपस में लड़ने लग जायें तो शायद संविधान ही न बन पायेगा इसलिए अन्य जरुरी मुद्दों पर सहमति बन जाने के बाद इन्होने भाषा के प्रश्न