हिंदी को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने की पहल


हिंदी को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने तथा इसे विश्व भाषा की गरिमा प्रदान करने के उद्देश्य से महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा http://www.hindivishwa.org/ की स्थापना 29 दिसंबर 1997 को की गई थी । आज अपने मकसद को पूरा करते हुए यह विश्वविद्यालय विदेशों के विश्वविद्यालयों और संस्थाओं में हिंदी और हिंदी माध्यम से विभिन्न अनुशासनों के अध्ययन और अनुशीलन के लिए समन्वयक की भी भूमिका निभा रहा है । प्रवेश लेनेवाले देशी और विदेशी छात्रों को इसके चार विद्यापीठों (यथाक्रम - संस्कृति,साहित्य, भाषा और अनुवाद) में विभिन्न विषयों पर हिंदी में गहन और अन्वेषणात्मक अध्ययन की यथोचित सुविधा उपलब्ध है । विश्वविद्यालय ने अपनी वैबसाइट http://www.hindisamay.com/ में भारतेंदु हरिश्चंद्र,रामचंद्र शुक्ल,प्रेमचंद,प्रसाद आदि की रचित कृतियों को निशुल्क उपलब्ध करवाया है ताकि दुनिया के कोने कोने में फैले करोड़ों हिंदी प्रेमियों,साहित्य अध्येताओं,शोधकर्ताओं को घर बैठे ही इंटरनेट पर सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके। हिंदीतर भाषी देशी एवं विदेशी पाठक भी इस विपुल हिंदी साहित्य को पढ़ सकें एवं हिंदी साहित्य से जुड़ सकें इसके लिए उपर्युक्त समग्र उपलब्ध साहित्य को विश्व की अन्य प्रमुख भाषाओं मे अनुवाद कर उपलब्ध करवाने की महत्वाकांक्षी योजना भी इसी का एक हिस्सा है। अगर यह कार्य भी सम्पन्न हो गया तो उन अरबों पाठकों की खुशी का ठिकाना ही न रहेगा जो अब तक घर बैठे इंटरनेट पर पुस्तकें पढ़ने के लिए - http://www.classicreader.com/ या http://www.gutenberg.org/ या http://www.bookrix.com/ जैसे वैबसाइट का ही सहारा लिया करते थे । इससे अंग्रेज़ीपरस्त वर्ल्ड वाइड वेब में हिंदी की मौजूदगी का अहसास भी बढ़ेगा, ऐसी मेरी धारणा है। आपका क्या ख्याल है ??

टिप्पणियाँ

  1. बहुत अच्छी पहल। हिन्दी के प्रसार के लिये ऐसे कदम उठाये जाने की नितांत आवश्यकता है।

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