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"हंस" और "पाखी" पत्रिका के पिछले अंक इन्टरनेट पर उपलब्ध

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"हंस" मासिक पत्रिका के पुराने अंक देखने के लिए नीचे दिये लिंक पर दोहरा क्लिक करें- Hans "पाखी" मासिक पत्रिका के पुराने अंक देखने के लिए नीचे दिये लिंक पर दोहरा क्लिक करें- http://www.pakhi.in/

यूनिकोड और हिन्दी शब्द संसाधन (Unicode & Hindi Word Processor)

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"हिन्दी शब्द संसाधन" (Hindi Word Processor) केंद्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान(राजभाषा विभाग) द्वारा तैयार की गई एक ऐसी मार्गदर्शक पुस्तिका है , जो कंप्यूटर की कोई भी बुनियादी जानकारी न रखने वाले व्यक्ति को भी कंप्यूटर के कई तकनीकी पहलुओं से न केवल परिचित करा सकती है ,बल्कि इसे पढ़ने के बाद वे स्वयं भी अपना काम कंप्यूटर पर करने मे समर्थ हो सकते हैं। आसान भाषा में और सचित्र ब्यौरों के साथ पाठों की विषयवस्तु को इतनी सरलता से समझाया गया है कि पाठक को समझने में कहीं भी कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए। चूंकि आलोच्य पुस्तक के लेखक त्रय सर्वश्री दिनेश चंद्र,मुकेश कुमार और राकेश कुमार वर्मा सहायक निदेशक के रूप में टंकण और आशुलिपि प्रशिक्षण से ही जुड़े हुए हैं इसलिए सीखने सिखाने में आने वाली परेशानियों से भी वे भलीभाँति परिचित है ,यही कारण है कि विषय प्रतिपदान में उन्होने अपने कार्यगत अनुभव और ज्ञान का बखूबी इस्तेमाल किया है । कंप्यूटर की बेसिक जानकारी ,एमएस वर्ड , यूनिकोड ,ट्रेडीशनल इनस्क्रिप्ट तथा फोनेटिक टायपिंग के तरीके , गति अभ्यास , इन्टरनेट और ईमेल जैसे विषयों को कुल 15 अध्यायों में औ...

हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती..........

हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती लहरों से डर कर नैया पार नहीं होती । नन्ही चीटीं जब खाना लेकर चलती है चढ़ती दीवारों पर सौ बार फिसलती है मन का विश्वास रगों में साहस भरता है चढ़कर गिरना ,गिरकर चढ़ना न अखरता है आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती । डुबकियाँ सिंधु में गोताखोर लगाता है जा जा कर खाली हाथ लौट आता है मिलते न मोती सहज ही पानी में चढ़ता दूना उत्साह इसी हैरानी में मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती । असफलता एक चुनौती है,स्वीकार करो क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो,नींद चैन सब त्यागो तुम संघर्ष करो,मैदान छोड़ मत भागो तुम कुछ किए बिना ही जय जयकार नहीं होती हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती ॥ (यह स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन की लिखी कविता है )

हमें यहूदियों के स्वभाषा प्रेम से शिक्षा लेनी चाहिए

यहूदी लोग आज यानी 14सितंबर को अपना नया वर्ष मनाते हैं। इसे इज़राइल मे “रोश हशनाह”कहा जाता है। वे  जहां भी क्यों न रहें,इसे परंपरागत उत्सव के रूप मे मनाते अवश्य हैं। एक समय था जब यहूदियों  पर अरब ने शासन किया तो कभी अंग्रेजों ने। अपनी आत्मरक्षा  के लिए वे दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने मे जाते रहे। जर्मनी में हिटलर से उन्हें कुछ राहत मिली । संयुक्त राष्ट्र संघ ने जब उन्हे उनकी ज़मीन लौटाई तब भी ब्रिटेन के साथ साथ अन्य  अरब देश इसका विरोध ही करते रहे। सीरिया,लेबनान,साउदी अरब,जार्डन जैसे देशों ने तो ब्रिटीश फौज से मिले  हथियारों के बल पर दुबारा उनकी आज़ादी को छिनना भी चाहा लेकिन उन्होंने  डटकर उसका मुक़ाबला किया । हजारों  को आज़ादी की रक्षा के लिए अपनी जान गंवानी पड़ी,पर उन्होंने  किसी भी स्थिति में हार नहीं मानी। जब 14 मई 1948 को इज़राइल दुनिया के नक्शे पर आया तो बमुश्किल उसकी आबादी कुछेक हज़ार थी। उनकी अपनी भाषा हिब्रू मृतप्राय हो चुकी थी और विद्वान जन किसी अन्य मुल्क में बस ग...

14 सितंबर “हिन्दी दिवस” ही नहीं आत्ममंथन और राष्ट्रीय चेतना दिवस भी है

मेरा यह लेख पढ़ने से पहले श्री हिमांशु सक्सेना के फेसबुक पर पोस्ट किये गए इस विडियो लिंक को एकबार अवश्य देख लें - http://www.facebook.com/home.php?#!/video/video.php?v=156993284312853 14 सितंबर प्रतिवर्ष “हिन्दी दिवस” के रूप में मनाया जाता है। आज ही के दिन सन 1949 में संघ सरकार(Union Government) की राजभाषा(Official Language) के रूप में हिन्दी को अपनाने का निर्णय सर्वसम्मति से डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में गठित तत्कालीन संविधान-सभा ने लिया था। दिनांक 26 जनवरी 1950 को जब हमारे देश का संविधान लागू हुआ तभी से हिन्दी न केवल हमारे केंद्रीय सरकार के कामकाज में प्रयोग की जा रही है,बल्कि संसद और कुछ उच्च न्यायालयों की कार्यवाहियों में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है। कहने की आवश्यकता नहीं कि हिन्दी एक ऐसी भाषा है,जो हमारी आज़ादी के पहले से ही उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम के लोगों के बीच में संवाद के लिए संपर्क भाषा रही है। कई चिंतक तो यह भी कहते हैं कि यदि सन 1857 की आज़ादी की पहली लड़ाई (अँग्रेजी इतिहासकारों ने जिसे सिर्फ "सैन्य विद्रोह"का नाम दिया था)में यदि भाषा की समस्या...

संस्कृत एवं हिन्दी भाषा में प्रयुक्त देवनागरी लिपि विश्व की अन्य लिपियों से श्रेष्ठ क्यों है?

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Why the Devnagari Hindi Script is Best among other all Scripts? (To enlarge the above Chart please Double Click on it) Do you know that the English Shorthand is based on Devnagri Script in which Hindi, Sanskrit & some other Languages are written? According to Ezek Pitman (Who invented the English Shorthand Phonetic codes) –“Devnagri Script is most scientific and Best among all international Scripts". Although it is quite difficult to believe, but it is absolutely true! Before considering the Devnagri (also known as Nagari) Script it would be useful to consider how the Roman Script (In which English and other European languages are written) is arranged. There are26 ( twenty six ) letters in Roman alphabet, as used for writing English. Nobody knows why the beginning letter is “A” and final letter is “Z”. in fact all 26 letters (A-Z)in English language are arranged haphazardly. There is no principle behind the serial order of A,B,C,D, and so on. There are two main parts of Alp...

ऑनलाइन हिन्दी प्रशिक्षण हेतु लीला प्रबोध , प्रवीण एवं प्राज्ञ के नए पाठ्यक्रम

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ऑनलाइन हिन्दी प्रशिक्षण हेतु लीला प्रबोध , प्रवीण एवं प्राज्ञ  के नए पाठ्यक्रम सी-डैक पुणे के तकनीकी सहयोग से विकसित एवं राजभाषा विभाग द्वारा प्रायोजित ऑनलाइन हिन्दी प्रशिक्षण हेतु लीला सॉफ्टवेयर हिन्दी भाषा प्रशिक्षार्थियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है । इसके इस्तेमाल से प्रशिक्षार्थियों को घर बैठे ही भाषा के सूक्ष्मातिसूक्ष्म अंगों (जैसे वर्ण परिचय , वर्णो का स्वर और व्यंजनों मे वर्गीकरण,उच्चारण भेद,अनुनासिक,अनुस्वार एवं संयुक्त व्यंजनों का स्वरूप, काल विभाजन,कारक चिन्हों का सटीक प्रयोग सहित मानक वर्तनी आदि) की जानकारी सहज रूप से हो जाती है। दृश्य एवं श्रव्य उपकरणों की सहायता से प्रयोगकर्ता अपनी मातृभाषा में ही लक्ष्यभाषा हिन्दी को बड़ी आसानी से सीख सकता है। यदि आप भी अपनी मातृभाषा के माध्यम से हिन्दी सीखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें -  http://lilappp.cdac.in/newhome.asp तथा अपना पंजीकरण करवाएँ । यह  सेवा बिल्कुल निशुल्क है तथा तीनों ही पाठयक्रमों को एक साथ भी सीखा जा सकता है । प्रशिक्षार्थी अपनी सुविधानुसार पाठ्यक्रम को पूरा कर सकता है, इसके लिए कोई समय सीम...

प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ की ऑनलाइन परीक्षाएँ एवं मोक टेस्ट

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सी-डैक, पुणे के सहयोग से केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान ,राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय द्‌‌वारा हिंदी प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ की अब ऑनलाइन  परीक्षाएँ आयोजित की जा रही  हैं । वर्ष 1955 से अब तक ये परीक्षाएँ पारंपरिक रूप से लिखकर आयोजित की जाती थीं लेकिन आधुनिकीकरण के परिप्रेक्ष्य में अब यह निर्णय लिया गया है कि उक्त परीक्षाओं का 75% भाग ऑनलाइन रूप में आयोजित किया जाए । चूँकि भाषा शिक्षण में लेखन कौशल का विकास भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है अत: इस परीक्षा का 25% भाग (भाग 'ख') हाथ से लिखा जाना है । अगर आप जानना चाहते हैं कि हिन्दी की ये परीक्षाएं ऑनलाइन कैसे आयोजित की जाती हैं तथा प्रश्नपत्रों का स्वरूप कैसे होता है या फिर आप स्वयं ही मोक टेस्ट देना चाहते हैं तो बस इतना करना है कि नीचे दिये लिंक पर क्लिक करें - http://203.199.132.10/onlineexamPPP  तथा  मुख्य पृष्ठ खुलने पर चित्र में ऊपर दर्शाए अनुसार मोक टेस्ट पर क्लिक करें । मोक टेस्ट आपको निर्धारित समय में ही पूरा करना होगा तथा आप अपना प्राप्तांक भी तुरंत देख सकते हैं । हिन्दी भाषी भी अपना कार्यालयी...

मई 2010 के हिन्दी प्रबोध प्रवीण और प्राज्ञ परीक्षा के परिणाम घोषित

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राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) , हिन्दी शिक्षण योजना द्वारा मई 2010 की हिन्दी प्रबोध,प्रवीण और प्राज्ञ परीक्षा के परिणाम दिनांक 30 जून 2010 को घोषित कर दिए गए  हैं। पूर्व क्षेत्र से परीक्षा में  बैठे प्रशिक्षार्थी अपने परीक्षा परिणाम नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक कर देख सकते हैं- प्रबोध के लिए - http://www.rajbhasha.nic.in/e1may10.pdf प्रवीण के लिए - http://www.rajbhasha.nic.in/e2may10.pdf प्राज्ञ के लिए - http://www.rajbhasha.nic.in/e3may10.pdf यदि उपर्युक्त लिंक से परिणाम देखने मे  आपको कोई असुविधा अनुभव हो तो आप सीधे राजभाषा विभाग के वैबसाइट http://www.rajbhasha.nic.in  पर क्लिक करें तत्पश्चात केंद्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान पर क्लिक कर परीक्षा परिणाम देखने के लिए पूर्व क्षेत्र के परिणामों पर डबल क्लिक करें- http://www.rajbhasha.nic.in/hindiexam.htm सभी सफल परीक्षार्थियों को हार्दिक बधाई ।

कश्मीर की सैर ( सोनमर्ग)

कश्मीर की सैर

कश्मीर की सैर

कश्मीर की सैर

कश्मीर की सैर

कश्मीर की सैर

जम्मू कश्मीर की सैर

हिंदी को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने की पहल

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हिंदी को विश्व मंच पर प्रतिष्ठित करने तथा इसे विश्व भाषा की गरिमा प्रदान करने के उद्देश्य से महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा http://www.hindivishwa.org/ की स्थापना 29 दिसंबर 1997 को की गई थी । आज अपने मकसद को पूरा करते हुए यह विश्वविद्यालय विदेशों के विश्वविद्यालयों और संस्थाओं में हिंदी और हिंदी माध्यम से विभिन्न अनुशासनों के अध्ययन और अनुशीलन के लिए समन्वयक की भी भूमिका निभा रहा है । प्रवेश लेनेवाले देशी और विदेशी छात्रों को इसके चार विद्यापीठों (यथाक्रम - संस्कृति,साहित्य, भाषा और अनुवाद) में विभिन्न विषयों पर हिंदी में गहन और अन्वेषणात्मक अध्ययन की यथोचित सुविधा उपलब्ध है । विश्वविद्यालय ने अपनी वैबसाइट http://www.hindisamay.com/ में भारतेंदु हरिश्चंद्र,रामचंद्र शुक्ल,प्रेमचंद,प्रसाद आदि की रचित कृतियों को निशुल्क उपलब्ध करवाया है ताकि दुनिया के कोने कोने में फैले करोड़ों हिंदी प्रेमियों,साहित्य अध्येताओं,शोधकर्ताओं को घर बैठे ही इंटरनेट पर सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध हो सके। हिंदीतर भाषी देशी एवं विदेशी पाठक भी इस विपुल हिंदी साहित्य को पढ़ सकें एवं हिंदी स...

ई महाशब्दकोश E-Mahashabdakosh

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Dictionary Dictionary Interface राजभाषा राजभाषा राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा हिंदी दिवस के शुभ अवसर पर १४ सितम्बर २००८ को प्रमोचित ई महाशब्दकोश (E-Mahashabdakosh) एक ऐसा द्विभाषी द्विआयामी ऑनलाइन महाशब्दकोश है, जिसमे आप न केवल शब्दों का हिंदी अंग्रेजी पर्याय देख सकते हैं बल्कि उनका सटीक उच्चारण भी सुन सकते हैं. यह सुविधा बिल्कुल निशुल्क है तथा कोई भी इन्टरनेट उपयोगकर्ता इसका लाभ उठा सकता है. ई महाशब्दकोश देखने के लिए कृपया ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करें- E-Mahashabdakosh is an online bilingual-bidirectional Hindi-English pronunciation dictionary. This dictionary include basic meaning, synonymous, word usage and usage of words in special domain. E-Mahashabdakosh has the facility of search of Hindi and English words. The purpose of this dictionary is to provide a complete, correct, compact meaning and definition of a word. For usage in Administrative domain, E-Mahashabdkosh was released by Her Excellency, the President of India on 14th Sepetember, 2008 on the occa...

प्रवीण पाठमाला : अभ्यास सामग्री एवं महत्वपूर्ण पाठों का सारांश

शहरी जीवन गाँव से एक बार लेखक अपने चाचाजी के घर दिल्ली घुमने गए . वहां गाँव और शहर के वातावरण तथा रहन सहन में लेखक को ज़मीन आसमान का अंतर दिखलाई पड़ा . शहरों की आधुनिक जीवन शैली, भीड़-भाड़, तनाव और मंहगाई से उनके चाचाजी भी काफी चिंतित थे. चाचा ने लेखक से कहा भी कि- " शहरों में नौकरी पेशा लोगों का गुजारा बड़ी कठिनाई से होता है . बिजली , पानी, मकान का किराया, फोन, अखबार का बिल और भोजन सामग्रियों के दाम बेतहाशा बढ रहे हैं जिससे जीना दूभर हो गया है. यहाँ सभी अपने-अपने में ही केन्द्रित रहते हैं और एक पडोसी दूसरे पडोसी को जानता तक नहीं." दिल्ली शहर की भाग दौड़ से भरी ज़िन्दगी देखकर लेखक को महसूस होने लगा कि इसी वज़ह से शहरी लोग तनाव में रहते हैं और अनेक बिमारियों के शिकार हो जाते हैं. घर की समस्याएं, दफ्तर का काम, बसों की भीड़, प्रदूषित हवा - ये सब शहरी जीवन को कठिन बना रहे हैं. इतनी कठिनाइयों के होते हुए भी गाँव के लोग शहरों की ओर खिंचे चले आते हैं क्योंकि रोज़गार के अवसर शहरों में ही अधिक होते हैं , परन्तु लेखक का मन वहां बिलकुल भी नहीं लगा . दो दिन बाद ही वे अपने ग...