हिन्दी की बात उनकी अपनी कलम से -भाग -II
" आज कल हमारे देश में हिन्दुस्तानी भाषा की बहुत चर्चा है । इस पर बहस होती है और गरमा गर्मी भी काफी होती है । यह कोई असल में भाषा है या एक नकली चीज़ है ; जो न हिन्दी है न उर्दू ? अगर किताबें पढ़ी जायें तो वह या तो हिन्दी होती है और या उर्दू और इन दोनों के बिच में काफी अन्तर है । लेकिन अगर मामूली बोलचाल देखि जाए तो बहुत फर्क नहीं होता । इसमे कोई संदेह नहीं कि हिन्दुस्तानी हमारी बुनयादी भाषा है जो लोग बोलते हैं । फ़िर भी यह मानना है कि लिखने के काम में अभी वह ठीक से ढली नहीं है । हम को कोशिश करनी चाहिए कि यह भी हो जाए ।" - जवाहर लाल नेहरू " गत १० अक्तूबर के दिन बापू ने ७१ वें वर्ष में पदार्पण किया है । जीवित आदमियों में ऐसा शायद ही कोई आदमी मिलेगा जो बापू ( गांधीजी ) के नाम को न जनता हो । यहाँ तक कि पहाडी जातियां और आदिम निवासी तक बापू के नाम से परिचित हैं , क्योंकि बापू उनके भी मित्र हैं । बापू के नाम से वे बहुत प्रेम करते हैं । बापू सारे संसार को एक दृष्टि से देखते हैं । इसलिए वे सबके प्यारे और पूजनीय हैं । " - शंकर दत्तात्रय देव (२२-१२-३९) " हिन्दी ...