प्रशस्ति पत्र एवं प्रमाण पत्र
मैंने अपने राष्ट्र के लिए नेत्र दान किया है तथा अपने परिवार और परिचितों को भी इसके लिए प्रेरित किया है। मेरे इन प्रयत्नों से करीब 100 लोगों ने स्वेच्छा से इसीप्रकार नेत्रदान घोषणा पत्र भरकर "टाइम्स आई रिसर्च फ़ाउंडेशन" को भेजा है और नेत्रदाता कार्ड धारक होने का गौरव प्राप्त किया है।आप भी पीछे क्यों रहें? जीते जी न सही, मरने के बाद भी यदि हम देश के लिए कुछ कर सकें तो क्या यह कुछ कम है?